शहर और दुनिया के बीच
शहर / शहर को कोई लड़का कैसे देखेगा? कौन सी उसकी स्मृतियाँ बनेंगी जो उसे एक लड़के की तरह शहर को उसके सामने प्याज की तरह उसकी तहें खोलता जाएगा ? क्या वह हाथ में लाख की लाल चूड़ियाँ पहने लड़की की कमर होगी या उसके स्तनों की वक्रता ? या उसकी आँखें उस लड़के को देख रही होंगी, जो उस लड़की को उसकी कलाइयों, हथेलियों और जहाँ चाहे वहाँ से पकड़ लेने की उसकी इच्छा को टटोलता हुआ कुछ अपने दिनों की तरफ़ लौट रहा होगा? शहर जितना बड़ा होगा, बाजार उतना ही घर से दूर होगा और पहचाने जाने का कोई भय या डर नहीं होगा । इस बात के पहले सिर्फ़ छू लेने का ऐसा चित्र उसके सामने कब घटित हुआ होगा, वह याद नहीं कर पाएगा । क्या उसके माता पिता उसके सामने कभी ऐसे आए होंगे या भौजाई के साथ भाई को कभी इस तरह इच्छाओं में सार्वजनिक रूप से तैरते हुए देखा होगा ? जितना इन बातों को पढ़ लेना अश्लील लग रहा है, क्या कभी शहर में चहलकदमी करते हुए उन हाथों, होंठों, बालों को कभी इसी तरह देखते हुए तब आप कुछ फ़र्क करते हुए चलते हैं ? क्या आपने इस लड़के में अपनी छवियाँ नहीं देखिन ? भले यहाँ लड़का लिखा है, क्या यहाँ लड़की लिखा होता, तब कुछ और प्रस्थान ब