पदानुक्रम
शायद यह एक गलत शब्द हो और जो मेरे अंदर भाव अभी है, उसे यह ठीक से अभिव्यक्त भी न कर पाये। इसके बावजूद अभी मुझे यही सूझ रहा है। अगर ऐसा हुआ भी तो कोई बात नहीं हम इसे आगे भी बदलने नहीं जाएँगे। मैं बस यह हिसाब लगाना चाहता हूँ। जो मेहनत है, उसे किस तरह दूसरों को दिखाया जा सकता है? इस दूसरे में ख़ुद भी हूँ, जो श्रम करते हुए उसे महसूस करना चाहता हूँ। थोड़ा और सरल करूँ, तब वह खेतिहर मज़दूर दिख जाता है, जो बंधुआ है । बेगार कर रहा है। किसी के मातहत है। उसने किसी तस्वीर की तरह दिखते खेत को जोता और फिर उसमें गेंहू के बीज बो दिये। क्या छह महीने के बाद वह फसल के पकने के बाद उसे बेच पाएगा? इसके किसी जवाब तक पहुँचने से पहले हम यह भी ठीक ठीक देख लें, जिस मौसम में वह गेंहू की फसल चाहता है, वह मौसम कौन सा है। मेरे साथ यह मौसम ही कुछ ठीक नहीं चल रहा। सब अपनी मेहनत को किसी और रूप में परिवर्तित करने में महारथ हासिल किए हुए हैं। थोड़ा सा आटा गूँदा, फ़िर उसे बेला और ठीक ठाक गोलाई में आने के बाद तवे पर रोटी बन गयी। मेरे पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिसमें इन बीतते दिनों को अपने से बाहर किसी को दिखा सकूँ। यह मे