सपने

१. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के आस पास एक मस्जिद है। तालाब हैं। कई सारे। लड़कियां खेल रही है। पुलिस लगी है। सुरक्षा के लिए। तभी एक पुलिस वाला एक तालाब के पास भगा। उधर से एक महिला पुलिस आती दिखी। वह अपनी क़मीज़ खोल देती है। उसने कुछ नहीं पहना। सब दिख रहा है। पता नहीं मैं कहाँ से यह सब देख रहा हूँ । उसे ऐसा करते देख, मैं दूसरी तरफ दखने लगता हूं। वह अचानक से कूद गई। बच्ची नहीं मिली। वह दरअसल पति-पत्नी हैं। कहानी वहीं सपने में चली जाती है।

२. पुल। पानी घुटनों से नीचे है। बह रहा है। हम जंगल में चले जाते हैं । शाम हुई। आसमान नीले से बैंगनी हो गया । लौटते वक़्त पानी कमर से ऊपर है। बहाव बहुत तेज़ है। पुल घाटी जैसी जगह में है। पानी का मटमैला विस्तार दिख रहा है। उस पार जाना चाहता हूं। पानी बहुत बढ़ गया है। मैं संभल नहीं पाता। एक कदम रखा। पानी ले जाने लगा। दूसरा रखा। वह दिखा । उसने चट्टान पर खड़े होकर हाथ पकड़ लिया। वह इस बहाव में भी पुल की न दिखने वाली सतह में डूब चुकने के बाद भी उसी पर दौड़ता हुआ दूसरी तरफ निकल आया। यह बोलता गया, देखा, प्रताप ब्राह्मण होने का !

. पता नहीं इसमें मुझे स्कूल का दोस्त दिखाई दिया । संदीप कलसी । हम स्कूल जैसी जगह में हैं। जहां हम पढ़े थे। उसी मैदान में बारिश से पहले नीचे आते बाज दिखे । उमस है । चिपचिपी सी । पसीना बेतरह बह रहा है । उसका इंतज़ार करते करते बहुत देर हो चुकी है । मुझे प्यास लगती है । वह तेज़ कदमों से आता हुआ दिखा । उसने मुझे सोने के पत्ते लगा एक छल्ला दिया। कोई तलाशी लेने आता है। मैं बताता नहीं हूं।

४. समंदर का किनारा। अचानक पानी बहुत बढ़ जाता है। लहर एकदम उफान पर है। जैसे बांध से किसी ने पानी एक साथ तावा खोलकर निकाल दिया हो। हम, मम्मी, मैं और पता नही तीसरा कौन था, एक दीवार के सहारे, उसके पीछे आड़ में छिपने की कोशिश करते हैं। पर पता नहीं कहाँ से लगता है, कि पानी बढ़ जाएगा। हम वहां से तुरंत सीढ़ियां चढ़ जाते हैं। पानी लगातार लहरों से बढ़ता जाता है। हम जिस ऊँचाई पर हैं, वहां तक आकर पूरा परिदृश्य पानी से घिर आता है। हम देख रहे हैं जलमग्न जगह/ स्थान, जहाँ कुछ देर पहले कुछ नहीं था, जहां कुछ देर पहले हम थे, सब पानी से ढक गया है। हम बच गए हैं और पानी अभी भी आ रहा है। 

{सपने , और छब्बीस नवंबर २०१७, सुबह नौ बजे करीब लिखे और सपना क्रमांक ४, पाँच अगस्त २०१८, रात दस बाईस पर लिखा गया । }

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