जनसत्ता में..

ब्लॉग का हिस्सा तो अब जनसत्ता में पिछले साल अगस्त के बाद रहा नहीं. सो पहले पहल यह सभी आलेख जनसत्ता के 'दुनिया मेरे आगे' स्तम्भ के लिए लिखे गए हैं. वहीं से यहाँ भी उन्हें ठेल दिया. अब तक आये सभी काल क्रमानुसार हैं. मतलब जो पहले आया वह पहले है.
1.
‘दुनिया मेरे आगे’ में कल 22 फरवरी, सोमवार को प्रकाशित। वहाँ पढ़ने के लिए क्लिक कीजिये, क्लिक पर।

2.
दिनांक चौदह अप्रैल 2016, जनसत्ता में, ‘दुनिया मेरे आगे’ स्तम्भ का हिस्सा

3.
पोस्ट का संशोधित रूप 22 जून को जनसत्ता में आया. सुविधाओं के टापू  नाम से. स्तम्भ दुनिया मेरे आगे.

4.
मंगलवार, तारीख़ 22 नवम्बर. जनसत्ता के ‘दुनिया मेरे आगे’ में. इसी शीर्षक के साथ. वर्ड में पढ़े.

5.
मंगलवार, तिथि 07 मार्च, 2017. जनसत्ता के 'दुनिया मेरे आगे' स्तम्भ में. सपने के बरक्स  .

6.
शनिवार, तारीख 13 मई, 2017. जनसत्ता, दुनिया मेरे आगे  स्तम्भ में, समान्तर दृश्य .

7.
मंगलवार, 22 अगस्त, 2017, दुनिया मेरे आगे में तालीम का रास्ता   

8.
शुक्रवार , 13 जुलाई, 2018, दुनिया मेरे आगे में विषमता की तकनीक  

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्त की ओट में कुछ देर रुक कर

खिड़की का छज्जा

मुतमइन वो ऐसे हैं, जैसे हुआ कुछ भी नहीं

जब मैं चुप हूँ

लौटते हुए..

टूटने से पहले

पानी जैसे जानना