पहला सफ़ेद बाल

बात हर बार रह जाती है. मैं इस बात को पिछले साल से दर्ज कर लेना चाहता हूँ. ड्राफ्ट में तारीख है, उनतीस अगस्त. दो हज़ार सोलह. तब से यह बढ़े नहीं हैं. दो ही हैं. यह दोनों मेरी उम्र बढ़ने के संकेत नहीं हैं. शायद यह उन बिताये दिनों के स्मृति चिह्न हैं, जिन्हें मैं भूलना नहीं चाहता. शायद हम सब अपने बिताये दिन भुलाना नहीं चाहते. कुछ होंगे, जो उम्र के साथ भूल गए होंगे, तब उनके सिर पर खिचड़ी बाल इकठ्ठा होकर उन्हें उनकी यादों में वापस ले जाते होंगे.  सब अपनी अपनी तरह से समझते है, यह मुझे इसी तरह समझ आ रहे हैं. सुबह नहाकर आता हूँ और आईने के सामने कंघी करते वक़्त यह दिख जाते हैं. चाँदी के तार की तरह. अभी तक मैंने किसी को बताया नहीं है. बस एक दिन यहीं बैठे-बैठे तुमने इन्हें खोज लिया था. इनकी खोज कहीं किसी के सामान्य ज्ञान को बढ़ाने में कोई योगदान नहीं देती इसलिए इस बात को किसी को बताना ज़रूरी भी नहीं था. फिर मैं किसी तरह दशरथ भी नहीं हूँ, जिनके कान के बालों को देख तुलसीदास भविष्य की कथा कहने लग जाते. यह चुपके से मामूली आदमी के जीवन में घटित होने वाली उससे भी मामूली घटना थी. इसे बाकियों द्वारा सिरे से नज़रअंदाज़ किया जा सकता है. उनकी नज़र में आने के बाद भी इसका मूल्य नहीं बढ़ने वाला. यह रहेंगे बिलकुल वैसे के वैसे, जैसे यह हैं. सफ़ेद. कभी चाँदी की तरह. कभी सारे काले बालों में गुम. इन्होने अभी तक सबके सामने आने की इच्छा ज़ाहिर नहीं की है.

जब मैं इनके बारे में सोचता हूँ तब मुझे कोई याद नहीं आता. बस याद आते हैं बाबा. उनके सिर पर हमनें कभी काले बाल नहीं देखे. देखें होंगे, तब की कोई याद नहीं है. वह एल्बम में लगी हुई कुछ तस्वीरें होंगी, जिनमें उनके बाल काले दिख रहे होंगे. मेरी सब तस्वीरों में मेरे यह दोनों बाल अभी तक छिपे हुए हैं. कहते हैं, अगर एक भी सफ़ेद बाल  को जड़ से उखाड़ दो, तब वह बेतहाशा बढ़ने लगते हैं. बाबा ने शायद हमारे बचपन में अपने उस सफ़ेद बाल को ऐसे ही उखाड़ कर मसेहरी पर रख दिया होगा. हमारे यहाँ कोई मसेहरी नहीं है. इसे कहाँ रखता. इसलिए इसे वहीं रहने दिया, जहाँ यह अभी है. फिर सोचता हूँ, जो इन सफ़ेद होते अपने बालों को काले रंग से रंगने की इच्छा से भर जाते होंगे, वह कभी अपनी लड़की के किसी लड़के से प्यार करने की बात को किस तरह लेते होंगे? वह जब उम्र के साथ अपने बालों में होने वाले सहज परिवर्तन को नकार सकते हैं, तब उन दोनों के प्रेम को नज़रअंदाज़ करने का गुण उनमें स्वाभाविक रूप से पाया जाता होगा. फिर ख़याल सवाल बनकर आता, उन्होंने अपने बाल आखिरी बार कब खिज़ाब से रंगे होंगे? शायद किसी शादी में जाने से पहले. उन्हें इसकी ज़रूरत इसलिए भी पड़ती है क्योंकि काले बाल कम उम्र का द्योतक माने जाते हैं और कई प्रकांड पंडित इसे कम उम्र की औरतों में पुरुषों के प्रति आकर्षित होने का एक कारण मानते आये हैं.

मैं कभी उन जैसा नहीं होना चाहता. मैं इन सफ़ेद होते बालों के साथ रहना चाहता हूँ. यह कभी मेरे अनुभव में शामिल होकर किसी याद का हिस्सा बन जायेंगे. इन पर भले ओस की बूंदें नज़र नहीं आयेंगी, बारिश की फुहारें कुछ देर बाद दिखाई देंगी. सूरज का चमकना कम दिखाई देगा. फ़िर भी इन्हें वापस पीछे मोड़ देने की हिम्मत अपने अन्दर नहीं चाहता. यह न चाहना, मेरे अन्दर इच्छाओं का मर जाना नहीं है. यह इस महाद्वीप में उन सब लोगों के साथ होने का निर्णय है, जिन्होंने कुछ निर्णय इस लिए स्थगित रखे क्योंकि तब उनकी स्मृतियों में कभी सफ़ेद रंग के बाल नहीं होते. मैं कभी नहीं चाहता यह बाल किसी के लिए माल बने, इससे अच्छा है, यह मेरे बाल ही बने रहें. इनका बाल होना मेरे लिए सार्थक बने रहना है.

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