एक कतरा

यह बात बहुत बचकानी लग सकती है. पर कहना ज़रूरी है. इसलिए देर से सही पर एक सही बात कहने की कोशिश कर रहा हूँ. हो सकता है, यह कोई नयी बात न हो. हम सब इसे पहले से जानते हों. पर कभी-कभी होता है, हम देर से महसूस करते हैं. उसी को कह रहा हूँ. हम जब इसे बना रहे थे, तब हम सब अपनी अपनी दुनियाओं से निकल कर एक नयी दुनिया का सपना बनाने चले थे. हम आये अपनी दुनिया से थे, जो हमारे अन्दर बन रही थी. आकार ले रही थी. वह कहीं अभी भी अन्दर हम बुन रहे हैं. इसी एक बात को हमें भूलना नहीं चाहिए था.

यह भाव अब दोबारा सतह पर है. दिन पर दिन यह भाव बोझ बनकर दिल को तोड़ रहा है. हम यह कैसे नहीं समझे कि हम सब एकसाथ होते हुए भी अपनी अपनी दुनियाओं से आ रहे थे. हम उनके प्रतिनिधि थे. यह हमारे मनस में यह दुनिया कैसी भी हो, हम उसे टूटते हुए नहीं देख सकते. यही वह क्षण था, जब हम इस समूह के बाकी अपने से बाहर हर किसी के लिए सबसे निर्मम होकर सामने आये. हम यह नहीं समझे कि उनकी की भी अपनी दुनिया है, वह भी उस दुनिया को अपने मन में बुन रही होगी. उनके के मन में हो सकता है, उसका कोई और नक्शा हो. उन्हें कैसा लग रहा होगा कि हम इतने अड़ियल होकर सबके सामने आये के उनकी दुनिया के सपने को मानने से भी इनकार करने लगे. यह बात हमें पहले समझ जानी चाहिए थी. हम भी नहीं चाहते कि व्यक्तिगत स्तर पर बातें इस कदर बिगड़ जाएँ कि हम सामने हों पर मन कहीं भाग जाने का करने लगे. सामने देखते हुए भी अन्दर से बात निकलने का नाम न ले. हम कभी भी किसी से अपने सम्बन्ध इस तरह बुनना नहीं चाहते.

हम किसी की आँख की किरकिरी नहीं बनना चाहते. पर क्या करें, कभी-कभी समझ नहीं आता. अब कुछ कुछ दिखने लगा है कि हमें भी अपने से अलग उन सारी दुनियाओं को बड़े करीने से अपने इर्द गिर्द सजाना होगा. हम भी किसी के लिए बाहर की दुनिया होंगे. कोई क्यों अपनी दुनिया में हमारी दुनिया के लिए जगह बनाएगा. पर हम समझ चुके हैं. यह सारी दुनियाएँ एक साथ चल सकती हैं. हमें उनकी दुनिया को भी बनने का सलीका देखना होगा, तभी यह दुनिया रहने लायक जगह बन पाएगी. आगे अब कुछ नहीं. किसी का दिल दुखा हो तो, सबसे माफ़ी. आपकी दुनिया के बाहर की दुनिया का. जिसे अपनी दुनिया में जगह देने के लिए शुक्रिया.

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