थम जाना।
हम सब एक साथ इतने भुल्लकड़ नहीं हैं फ़िर भी भूल जाते हैं। अपने हिस्सों को हमेशा चोर जेब में लिए चलने वाली लड़कियाँ कैसे उसे किसी के सामने निकालेंगी यह ख़ुद को शातिर समझने वाले हम लड़कों से कितना अलग होगा, कह नहीं सकता। हो सकता है कुछ लड़कियाँ आने वाले वक़्त में लड़कों में बदल जाएँ और हम लड़के लड़कियों में अपने इस बीत रहे अतीत की आहटों को महसूस कर रहे हों।
होने को कुछ भी हो सकता है, बस हमें थोड़ा जमीन से जुड़े रहना है और अपनी पीठ पर एक जोड़ी पर लगाकर सोचना है। हम कितने अलग-अलग मिजाज़ के रहे होंगे। कितने पूर्वाग्रहों के साथ हम इकट्ठा होकर चलने के लिए तय्यार हुए होंगे। पहले तो यही सोचा होगा, चलो कोई बात नहीं, तीन दिन ही तो हैं। कट जाएँगे। कोई कैसा भी हो थोड़ा बहुत तो सबके साथ 'अडजेस्ट' करना पड़ता है। यहाँ भी कर लेंगे और क्या? असल में ऐसा सोचकर हम अपने मन को समझा रहे थे। मान जा न। एक बार मान जाएगा, तब कोई दिक्कत नहीं होगी। हम सब देख लेंगे। यह परखना अब उन सारी यादों में होगा। चुपके से। सिरहने सोते हुए या बगल में बैठकर। पर होगा ज़रूर।
{एक ख़राब पोस्ट ऐसे ही बर्बाद की जा सकती थी। इसे इसलिए कोई डाक माना ही नहीं जाये। }
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें